हिंदी फिल्मों में हमने कई दफा अदाकारों के बच्चों और भावी पीढ़ी को उनकी उस विरासत को आगे बढ़ाते हुए देखा .कुछ उसमे सफल हुए तो कुछ अपने से पहले के लोगों के बनाये तिलिस्म को तोड़ पाने में नाकामयाब हुए और गुमनामी में चले गये .लेकिन इसके इतर भी कुछ रहे जिन्होंने काफी कम समय के लिए चाहते न चाहते हुए बड़े परदे का रुख किया .
सिनेपर्द पर उस अभिनेत्री को कौन भूल सकता है जिसकी आँखें उसके होंठों से पहले ही काफी कुछ कह जाती थी ,जिसकी संवाद अदायगी और उनका वो लहजा बाक़ी अभिनेत्रियों से उन्हें अलग कर देता .ये अभिनेत्री रही टैगोर परिवार की शर्मीला .पर आज बात शर्मीला की नहीं बल्कि उनकी छोटी बहन उइन्द्रिला टैगोर (टिंकू ) की .
काफी छोटी रहीं टिंकू जब उन्हें (सन 1956-57) बंगाली फिल्म ‘काबुलिवाला‘ में नटखट बालकलाकार की भूमिका में देखा गया .ये बतौर अभिनेत्री उनकी एकमात्र फिल्म रही.
इनपुट : अरुनभ रॉय