लता ने कई संगीतकारों के साथ काम किया ,अगर उनकी फेहरिस्त बनाने लगे ,तो शायद एक अलग लिस्ट लिखनी पढ़ेगी .लता से एक इंटरव्यू में पूछा गया कि अनिल बिस्वास ने एक दफा कहा था कि लता, मेरी (अनिल बिस्वास की ) गुलाम हैदर ,और खेमचंद प्रकाश का शोध है .क्या आप इससे सहमत है ? लता अपने पुराने दिनों को याद करते हुए (कि कैसे कम्पनी बंद होने और पापा बुलबुले के कहने पर वो हरीशचन्द्र बाली के यहाँ गई ,तो वहाँ एक पठान ने लता को रिहर्सल करते सुना ,और ये बात गुलाम हैदर को कही कि एक नई गायिका आई है ,गुलाम हैदर ने उनका गाना रिकॉर्ड किया पर लता की आवाज़ किसी वजह से शशिधर मुखर्जी को नहीं भायी ,और काफ़ी पतली है कहा . इसी दौरान बोम्बे टॉकीज़ में खेमचंद प्रकाश और अनिल बिस्वास ने लता को सुना ,इस तरह सिर्फ मास्टर गुलाम हैदर को ही वो शख्स मानती हैं जिसने उनके फ़िल्मी सफर में एक अहम भुमिका निभायी .मास्टर जी के पाकिस्तान जाने पर एक दिन पाकिस्तान से लता के पास उनका फोन आता है और उन्हें फिल्म बरसात की सफलता पर बधाई दी और कहा कि ”क्यों मेमसाहब मैंने जो कहा था वो ठीक हुआ कि नही’ .लता ने अपने काम के दौरान संगीतकारों से काफ़ी सीखा अनिल बिस्वास से सांस की बारीकियां सीखी, कि कहा, कैसे सांस लेनी चाहिए . खेमचंद ने उन्हें जैसे गाना सिखाया वैसे गाया . वहीं मास्टर गुलाम हैदर से सीखा कि गाने से पहले ये ध्यान दें कि गाने के शब्द क्या है ? उसकी सिचुएशन क्या है ? कि परदे पर कौन उसे गाने वाला है ,लता के मुताबिक वो कहते कि ‘अगर लोरी हो तो तू माँ बन ,अगर गाने दुखी है तो तू दुखी होकर गा .
शंकर जयकिशन से लता ने क्या सीखा और लता से उन्हें क्या मिला ?
लता : मैंने उनसे कुछ नही सीखा बल्कि मैंने कई दफा उनके गीतों में अपनी और से योगदान दिया उनके कई गीत ऐसे रहे जिसमे मैंने अपनी और से आलाप जोड़े या उन्हें इमप्रूव किया .
शंकर जयकिशन के संगीत निर्देशन में बने ‘मैं पिया तेरी तू माने या ना माने’ को लता ने अपनी पसंद का बताया
क्या आपने कभी गीत के बोल कभी बदलने पर ज़ोर दिया ?
लता : बहुत बार बदले ,जहाँ द्विअर्थी बोल होते ,मैं ऐसे गीतों को गाने से मना कर देती , ‘संगम’ के गीत मैं का करूँ राम मुझे बुड्ढा मिल गया ,इस गीत को मैंने बस ऐसी ही (अनमने मन से ) गा दिया ,क्योंकि राज कपूर ने काफ़ी वक्त लेकर मुझे समझाने की कोशिश की ,ये गीत वैजयंती माला पर फिल्माया जायेगा .परदे पर इसमें कुछ बुरा नही नज़र आएगा ,इसमें कुछ वल्गर नज़र नही आएगा .और फिर धीरे धीरे संगीतकारों को खुद भी इस बात का अंदाज़ा हो गया कि इस तरह के गीत हम गीता ,आशा से गवाते है .
लता -नौशाद .
‘बरसात ‘ के बाद नौशाद साहब की ‘अंदाज़’ आई . लता बताती हैं कि नौशाद साहब से एक तरह से पारिवारिक संबद्ध रहे ,इतना ही नही, परिवार के एक विवाह समारोह में वो व्हील चीएर पर ही सही, लेकिन आये ज़रूर थे . वो कहती हैं नौशाद के संगीत में बना गीत जाने वाले से मुलाक़ात ना होने पायी उनकी पसंद का गीत रहा .
लता – मदन मोहन :
लता : मुझे उनके ज्यादातर गीत पसंद रहे ,वो एक काफ़ी सुलझे हुए संगीतकार रहे .लता याद करके कहती है कि वो अक्सर उनसे कहते, “देखो लता मुझे (गाने के लिए) मना मत करना” .उनके एक तरह से पारिवारिक संबद्ध रहे .उनकी पत्नी लता जी की एक तरह से सहेली हुआ करती
वो तीन साल और एस डी बर्मन :
लता याद करते हुए कहती है कि दादा उन्हें अपनी बेटी की तरह मानते थे ,उनदिनो 14 साल तक लता को साइनस ने तकलीफ दी ,और कई मर्तबा उन्हें रिकॉर्डिंग कैंसिल करनी पड़ती ,पर दादा उन्हें कहते कि
‘लोता मेरे गाने को चार चाँद कर देना’ ,फिल्म ‘मिस इंडिया ‘ (नर्गिस ) की रिकॉर्डिंग के दौरान दादा ने उनसे गीत को काफ़ी ‘सॉफ्ट‘ गाने को कहा ,दादा ने जैसा कहा वैसे लता गा कर चली गई .अगले दिन लता के पास एक व्यक्ति आता है और कहता है कि दादा चाहते हैं कि आप उस गीत को एक बार दोबारा री रिकॉर्ड कर दें क्योंकि वो काफ़ी ‘सॉफ्ट ‘हो गया है .
लता उन दिनों काफ़ी व्यस्त हुआ करती और रविवार को भी रिकॉर्डिंग हुआ करती , लता ने उस व्यक्ति को कहा कि आप दादा से कहे कि मैं जैसे ही कुछ पहले से तय की गई रिकॉर्डिंग को खत्म करूँ मैं उन्हें फिर डेट्स देती हूँ ..लता कहती हैं कि पर उस व्यक्ति ने दादा को वहाँ जाकर कुछ और ही कह दिया . उसने कहा कि लता कह रही है कि मैं दोबारा रिकॉर्डिंग नहीं करुँगी .जिससे सुनकर दादा ने कहा कि मैं लता से गीत नहीं गवाऊंगा ,और इसतरह से लता ने उनके साथ काम करने से मना कर दिया और उनके बीच के संबद्ध थोड़े से बिगड़े
लता और आशा
आशा ने बिना किसी से पूछे शादी की जिससे उनकी माँ को काफ़ी सदमा लगा ,और आशा के पति ने उनसे उनके परिवार से कोई सम्बन्ध ना रखने को कहा ,और ना ही किसी तरह का बोल चाल रखे .ये सम्बन्ध आशा के माँ बनने और हृदयनाथ और माई (लता की माँ ) की कोशिश से सुधरे
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