रणजीत स्टूडियो(बम्बई ) की तानसेन, के एल सहगल की उन फिल्मों में से रही जिन्होंने उन्हें सफल अभिनेता बनाने में अहम भूमिका निभाई ! फिल्म में तानसेन (के एल सहगल ), तानी (खुर्शीद बानो ), अकबर (मुबारक) मुख्यभूमिका में रहे ! फिल्म का संगीत दिया था खेमचंद प्रकाश ने जिसमे अधिकतर गीत फिल्म की पृष्ठभूमि और ज़रूरत के हिसाब से रागों पर आधारित रहे ! फिल्म के साथ एक और नाम जुडा था जिन्होंने फिल्म के संवाद और गीत लिखे थे और वो नाम था डी एन मदोक का !
फिल्म का एक बेहद दिलचस्प दृश्य है जहां अकबर की ख्वाहिश पूरी करने यानी राग दीपक गाने के बाद तानसेन बुरी तरह झुलस जाता है ! माना गया कि राग दीपक की आग का तोड़ मेघ मल्हार ही है ! और अकबर को मेघ मल्हार गाने वाला कहीं नहीं मिलता ! आखिरकार तानी (खुर्शीद ) मेघ्मल्हार गाती है और पानी बरसने लगता है …” काले बदरवा पिया पर बरसो रे ’’