शिव कुमार बटालवी, शायरी की दुनिया का वो चमकता सितारा है, जो असमय ही अस्त हो गया। लेकिन अस्त होने से पहले वो अपनी चमक बिखेर कर शायरी की दुनिया को हमेशा के लिए रोशन कर गया। शिव का रचना संसार विरह और दर्द की ऐसा फ़साना है, जिसे पढने वाला आँखें नम किये बिना नहीं रहता। लोग यूं ही इस शायर को “बिरहा का सुल्तान” के नाम से नहीं पुकारते। शिव की रचनाएँ हैं ही ऐसी, मानो दर्द की सियाही में डुबो कर लिखी गयी हों।
36 बरस की कम उम्र में ही मौत को गले लगा लेने वाले शिव ने सिर्फ दस साल तक सक्रियता से कवितायेँ लिखीं, पर इतने कम समय में भी उसकी रचनाएँ लोगों के दिल-ओ-दिमाग पर छा सी गयीं। 28 वर्ष की उम्र में ही साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले इस अज़ीम शायर की एक रचना है — “अज्ज दिन चढेया, तेरे रंग वरगा”. पंजाबी गायक हंस राज हंस की आवाज़ में शिव बटालवी की यह रचना प्रस्तुत है यहाँ ।